समान काम तो समान वेतन क्यों नहीं.....
लखनऊ। विद्युत आपूर्ति और गड़बड़ी को सुधारने का दारोमदार संविदा कुशल व अकुशल श्रमिकों पर है। सामान्यत: इन्हें लाइनमैन कहा जाता है। बिजली ठीक करते समय इनके साथ बार-बार अनहोनी की घटनाएं होती हैं लेकिन विभाग सुधरने का नाम नहीं ले रहा है, अक्सर सुनने को मिलता है कि खंभे में चढ़ा संविदा लाइनमैन अचानक करंट लगने से नीचे आ गिर गया। गिरने से वह गंभीर रूप झुलस जाता है या फिर वह अपंग हो जाता है। बात यही नहीं समाप्त होती कभी-कभी संविदा लाइनमैन की गंभीर रूप से झुलसने से मौत भी हो जाती है। सैकड़ों की संख्या में संविदा इनमैन दुर्घटना के शिकार हो चुके हैं। इनमें कई तो कार्य करने लायक ही नहीं रहे। यह सब घटनाएं मोबाइल से शट डाउन देने की प्रक्रिया के चलते हो रही हैं। दुर्घटना के बाद पता चलता है कि शट डाउन किसी और स्थान के लिए था लेकिन दे दिया दूसरे स्थान का। अनहोनी होने पर आनन फानन में किसी पर जिम्मेदारी डालकर कर्तव्य की इतिश्री समझ ली जाती है। कुछ दिनों में बात आई गई हो जाती है। दुर्घटना का शिकार होने पर विभाग भी कर्मचारी के परिवार की अधिक मदद नही कर पाता क्योकि इनकी नियुक्ति सीधे विभाग से नही है बल्कि ठेकेदार के माध्यम से इनको विभाग मानदेय देता है वही विभाग की ओर से इन कर्मचारियों को कुछ नहीं दिया जाता ऊपर से ठेकेदार द्वारा उनका शोषण किया जाता है। वही समय पर इनको काम का पैसा भी नहीं दिया जाता, इसकी वजह से कड़ी मेहनत के बाद भी उनके परिवार के सदस्यों को दो जून की रोटी नहीं मिलती दिन-रात जान हथेली पर रख कर काम के बदले वेतन के नाम करीब सात हजार से नौ हजार रुपए ही मिलते है।
संविदा कर्मियों के साथ सौतेला व्यवहार देश हित में नहीं: विकास तिवारी
वही उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन निविदा/संविदा कर्मचारी संघ के महामंत्री विकास तिवारी ने कहा कि इस कोरोना काल में सात से नौ हजार रूपये पाने वाले विद्युत संविदा कर्मचारी अपनी और अपने परिवार की जान हथेली पर लिये दिन रात काम में जुटे रहते हैं, श्री तिवारी ने कहा इसी विभाग में आउटसोर्सिंग के माध्यम से सैनिक कल्याण निगम में तैनात संविदा कर्मचारियों का वेतन 22 हजार रुपये है जबकि ठेकेदारों के माध्यम से तैनात कर्मचारियों का वेतन 11 हजार रूपए है। पावर कारपोरेशन द्वारा हम संविदा कर्मियों के साथ जो सौतेला व्यवहार किया जा रहा है वह देश हित में नहीं है।